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एक्सपर्ट विनी झारिया ने साइकोलॉजिकल सेफ्टी ड्यूरिंग एग्जाम पर परिचर्चा की
जब बच्चो को एग्जाम की एंजायटी नही होती तब वे शांत दिमाग से अच्छे परिणाम लाते है
इंदौर. साइकोलॉजिकल सेफ्टी ड्यूरिंग एग्जाम विषय पर एक स्कूल ( श्री अय्यप्पा ) में क्रिएट स्टोरीज एनजीओ द्वारा आयोजित कार्यशाला में चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट एवं साइकोथेरेपिस्ट विनी झारिया ने परिचर्चा की ।
एक्सपर्ट विनी झारिया ने बताया साइकोलॉजिकल सेफ्टी ड्यूरिंग एग्जाम का मतलब एक ऐसा माहौल बनाना है जहां छात्र सहज, समर्थित महसूस करें और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम हों । हमेशा एक बात याद रखें जब बच्चो को एग्जाम की एंजायटी नही होती तब वे शांत दिमाग से अच्छे परिणाम लाते है।
एग्जाम्स कई बार स्ट्रेसफुल होते है खास कर के फाइनल एग्जाम , साइकोलॉजिकल सेफ्टी टिप्स का इस्तमाल करने से परीक्षा की एंजायटी एवं प्रेशर को कम किया जा सकता है।
कई बार जब प्रश्नपत्र सामने आता है तब बच्चे ब्लैंकआउट फील करते है , जो की नॉर्मल है । ऐसा हो तो बच्चे उस समय दो मिनिट अपने आप को दें , पानी पिएं और फिर भी दिक्कत आए तो टीचर से हेल्प लें।
एक बात और ध्यान दें की जब बच्चा घर आए एग्जाम देकर को उससे पेपर डिस्कस ना करें और अगले एग्जाम के लिए रेडी करें क्योंकि इसका स्ट्रेस अगले पेपर पर असर डालेगा।
पैरेंट्स एवं टीचर्स ध्यान दें की अगर बच्चो को ये पता हो की उनका परिणाम जो भी आए उसके लिए न तो हम जज करेंगे और न ही उनकी गलतियों के लिए उन्हें क्रिटिसाइज करेंगे।
कुछ टिप्स –
· बच्चो को उनके अंदर के सवालों को खुल कर पूछने दें ।
· बच्चो में परफेक्शन से ज्यादा लर्निंग प्रोसेस पर ध्यान दें ।
· परीक्षा के समय बच्चो की पसंद जैसे कला , डांस , स्पोर्ट्स आदि को भी बैलेंस करें ।
· बच्चो का घर पर रियलिस्टिक टाइमटेबल बनाएं जो अचीवेबल हो ।
· बच्चो को खुल कर बोलने दें ।
· बच्चो के छोटे छोटे एफर्ट्स को एक्नोलेज करें ।
· बच्चो की लर्निंग स्टाइल को पहचानें ।
· पालक अपने बच्चो के इमोशनल वेलबींग पर भी ध्यान दें ।
टीचर्स और पैरेंट्स यह सुनिश्चित करें की बच्चे न केवल एकेडमिक रूप से सफल हों बल्कि अपनी शैक्षणिक यात्रा के दौरान सपोर्टेड और कॉन्फिडेंट महसूस करें ।